जाग रहा है अब सोया हिन्दू

 


जाग रहा है अब सोया हिन्दू

- डा. राजेश्वर उनियाल
जाग रहा है अब सोया हिंदू, लगा मचलने सागर सिंधु,
दोहराने फिर गौरव गाथा, भरने लगा हुंकार है हिंदू ।
सदियों से सुसुप्त-सा सो रहा, सहिष्णुता का पाठ पढ़ रहा,
धर्म से विमुख हो वो अपने, आततायियों को था झेल रहा ।
नई चेतना है पाई उसने, धर्म ध्वजा लहराई उसने,
तोड़ता हुआ अंगड़ाईयों को, जाग रहा है अब सोया हिंदू ।
समरभूमि को देख रहा है, खड्ग अपने वो ढूंढ रहा है,
ले सीख इतिहास से अपने, नादानियों को वो भूल रहा है।
गांडीव को उठाकर हाथ में, विजयी शंख को लिए साथ में,
तंद्राओं को तोड़ता हुआ हिंदू, जाग रहा है अब सोया हिंदू ।
वेद ऋृचाओं का है वह ज्ञाता, धरा अंबर से उसका नाता,
अश्वमेध वह करने वाला, दसों दिशाओं का है रखवाला।
नवराष्ट्र का निर्माण करने, मां भारती का मंदिर सजाने,
हिंदुत्व को झकझोरता हिंदू, जाग रहा है अब सोया हिंदू ।


©®डॉ. राजेश्वर उनियाल
दशहरा की शुभकामनाओं के साथ,

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