गज़ल
*****
कुछ लोग
कुछ लोग ढुंगु फरकैकि चलगीं ।
आंखिम आंसु तरकैकि चलगीं ।।
पुंगड़ा फागौं थैं भुक्की मारिक ।
खाली थकुलि सरकैकि चलगीं ।।
चीर कफन लूछिकै सांग फरैन ।
बिरणि छुरकी छरकैकि चलगीं ।।
सेर पाथा दूण को सट्वरा कैरि ।
ख्वाटा सिक्का गरकैकि चलगीं ।।
बेसारा कैरगीं सारा लगै लगैकि ।
सांसा पराण थैं टरकैकि चलगीं ।।
न भैर अंदि न भितर जंदि आंसु ।
खुदेड़ जिकुड़ि दरकैकि चलगीं ।।
चार दिन नि रै साका वो गौंमा ।
अपणि आंखि बरकैकि चलगीं ।।
ब्वै बबा लिजाणा को अयां छवा ।
बगैर बात कर्यां शरमैकि चलगीं ।।
विंटर होलीडेज को मजा ल्हेकि ।
ह्यूंद का मैनौ थैं गरमैकि चलगीं ।।
'पयाश' भि ऐना बस द्वि दिन को ।
गढ़वाळि गज़ल फरमैकि चलगीं ।।
©® पयाश पोखड़ा
#uklaguli #पौड़ी_गढ़वाल #गढ़वळिम_ग़ज़ल #पयाश #posts #poet #hindipoem #kumaoni #worlpoetry #indian #Poetry #utter #india #UKLaguli #gharwalipoems #video #poems #Ghrwali #gharwali #instagram #Youtube #facebookpost #uttrakhand
*****
कुछ लोग
कुछ लोग ढुंगु फरकैकि चलगीं ।
आंखिम आंसु तरकैकि चलगीं ।।
पुंगड़ा फागौं थैं भुक्की मारिक ।
खाली थकुलि सरकैकि चलगीं ।।
चीर कफन लूछिकै सांग फरैन ।
बिरणि छुरकी छरकैकि चलगीं ।।
सेर पाथा दूण को सट्वरा कैरि ।
ख्वाटा सिक्का गरकैकि चलगीं ।।
बेसारा कैरगीं सारा लगै लगैकि ।
सांसा पराण थैं टरकैकि चलगीं ।।
न भैर अंदि न भितर जंदि आंसु ।
खुदेड़ जिकुड़ि दरकैकि चलगीं ।।
चार दिन नि रै साका वो गौंमा ।
अपणि आंखि बरकैकि चलगीं ।।
ब्वै बबा लिजाणा को अयां छवा ।
बगैर बात कर्यां शरमैकि चलगीं ।।
विंटर होलीडेज को मजा ल्हेकि ।
ह्यूंद का मैनौ थैं गरमैकि चलगीं ।।
'पयाश' भि ऐना बस द्वि दिन को ।
गढ़वाळि गज़ल फरमैकि चलगीं ।।
©® पयाश पोखड़ा
#uklaguli #पौड़ी_गढ़वाल #गढ़वळिम_ग़ज़ल #पयाश #posts #poet #hindipoem #kumaoni #worlpoetry #indian #Poetry #utter #india #UKLaguli #gharwalipoems #video #poems #Ghrwali #gharwali #instagram #Youtube #facebookpost #uttrakhand
See less
— in India.

0 Comments