"वो गांव अभी तक जिंदा है"
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वो शादी ब्याह की धूमधाम
वो त्यौहारों की हंसी शाम।
जो छोड चुके हैं अपना गांव
वो खुद पर ही शर्मिंदा हैं।
मेहमान के आने का सूचक भी
जहां कोई परिंदा है।
वो पेड़ पे बैठे कौवे की
कांव-कांव अभी तक जिंदा है।
वो गांव अभी तक मरा नहीं
वो गांव अभी तक जिंदा है।
माना कि कुछ कष्ट हुए थे
हम भी तो पथ भ्रष्ट हुए थे।
थोड़े से सुख के खातिर,
खेत गांव सब नष्ट हुए थे।
विपद जो सर पे आती है
तो गांव हमें बचाता है।
ले अपने आगोश में सबको
रक्ष कवज बन जाता है।
जननी जन्मभूमि है अपनी
ना कहीं भी इसकी निंदा है।
करोना जैसें काल से बच गये
यही तो वो किष्किन्धा है।
वो गांव अभी तक मरा नहीं
वो गांव अभी तक जिंदा है।
अर मी डोबरियाल "असीमित"
©® सुदामा डोबरियाल
गौं जाख मल्ला
तहसील लैन्सडौन
पौड़ी गढ़वाल उत्तराखंड
उत्तराखंड की लगूली
UK Laguli
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वो शादी ब्याह की धूमधाम
वो त्यौहारों की हंसी शाम।
जो छोड चुके हैं अपना गांव
वो खुद पर ही शर्मिंदा हैं।
मेहमान के आने का सूचक भी
जहां कोई परिंदा है।
वो पेड़ पे बैठे कौवे की
कांव-कांव अभी तक जिंदा है।
वो गांव अभी तक मरा नहीं
वो गांव अभी तक जिंदा है।
माना कि कुछ कष्ट हुए थे
हम भी तो पथ भ्रष्ट हुए थे।
थोड़े से सुख के खातिर,
खेत गांव सब नष्ट हुए थे।
विपद जो सर पे आती है
तो गांव हमें बचाता है।
ले अपने आगोश में सबको
रक्ष कवज बन जाता है।
जननी जन्मभूमि है अपनी
ना कहीं भी इसकी निंदा है।
करोना जैसें काल से बच गये
यही तो वो किष्किन्धा है।
वो गांव अभी तक मरा नहीं
वो गांव अभी तक जिंदा है।
अर मी डोबरियाल "असीमित"
©® सुदामा डोबरियाल
गौं जाख मल्ला
तहसील लैन्सडौन
पौड़ी गढ़वाल उत्तराखंड
उत्तराखंड की लगूली
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