सुदि-सुदि खामखां,Gharwali Ghazal,Utterakhand



गज़ल
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सुदि-सुदि खामखां

सुदि-सुदि खामखां अपणु ल्वै खिटाणा छौं ।
ये खरयां सरग मा कै खुण जि छिटाणा छौं ।।

सिनम थ्वड़ि जितेंद परधनि को चुनौ कभि ।
जख-तख सचै का बाना बौंळि बिटाणा छौं ।।

गांवा का बल्द भि बारा पास कैकि चलिगीं ।
अर तुम त अभितलक ग्वळ दैं रिटाणा छौं ।।

म्यारु तजुरबा त बस ग्वाया लगाणा को चा ।
तुम मीथैं किलै उकळि उंधरिंद हिटाणा छौ ।।

पछणै त गीं म्याळा-पाल्यू फर नौ लिखदरा ।
फूका अब जि क्या खुणै आखर मिटाणा छौं ।।

अतर हुयां यूं लाल पाणि का रौला-गदनौ मा ।
हम त लोकतंतर का ठपकौण्या भिटाणा छौं ।।

© पयाश पोखड़ा

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